- मेरी शाम वो नहीं थी
जो तुम्हारी शाम है
मेरा चाँद भी वह नहीं
जो तुम्हारा चाँद है
बहुत फर्क है
तुम्हारे आसमान
और मेरे आसमान में
तब कैसे हो सकता है
तुम्हारा खूबसूरत अहसास
मेरे अहसास की तरह
बहुत कोशिश की
बन जाये
दो जिस्म एक जान
दो दृष्टि
एक दृष्टि
दो पेड़ आपस में मिल जाएँ भी
तो एक पेड़ नहीं हो सकते
कभी नहीं देखा दो फूलों को
एक फूल बनते हुए .
दो रेलगाड़ियों को
आमने सामने
एक पटरी पर चलते हुए.
विमल कुमार .
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