आईने में परछाई की तरह
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इसी शहर में तुम आयी थी
मेरे पास
दौडती हुई एक नदी की तरह
इसी शहर में
तुम गायब हो गयी
हवा में उड़कर
एक चिड़िया की तरह
इसी पेड़ पर
तुम खिली थी
मेरे लिए कभी
एक फूल की तरह
इसी पेड़ पर
तुम झर गयी
एक दिन एक पत्ते की तरह
इसी आसमान पर तुम चमकी थी
मेरे लिए
बिजली की तरह
इसी आसमान पर
तुम टूट कर गिर गयी
एक तारे की तरह
इसी आईने में
तुम दिखी थी
मुझे
एक सुन्दर झरने की तरह
लेकिन क्या हुआ इस बीच
मैं आज तक
समझ नहीं पाया
कि इसी आईने में
अब तुम दिखती हो
एक धुंधली परछाई की तरह
.
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इसी शहर में तुम आयी थी
मेरे पास
दौडती हुई एक नदी की तरह
इसी शहर में
तुम गायब हो गयी
हवा में उड़कर
एक चिड़िया की तरह
इसी पेड़ पर
तुम खिली थी
मेरे लिए कभी
एक फूल की तरह
इसी पेड़ पर
तुम झर गयी
एक दिन एक पत्ते की तरह
इसी आसमान पर तुम चमकी थी
मेरे लिए
बिजली की तरह
इसी आसमान पर
तुम टूट कर गिर गयी
एक तारे की तरह
इसी आईने में
तुम दिखी थी
मुझे
एक सुन्दर झरने की तरह
लेकिन क्या हुआ इस बीच
मैं आज तक
समझ नहीं पाया
कि इसी आईने में
अब तुम दिखती हो
एक धुंधली परछाई की तरह
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