रविवार, 15 नवंबर 2015

फिर जा रहे हो विदेश

अब तुम फिर जा रहे हो विदेश
आखिर कितनी बार जाओगे
क्या विश्वाविजयी बनने का स्वप्न भी देखने लगे हो
बहुत भूख है तुम्हारे अन्दर
अमर होने की
इसलिए तुम नहीं जाते हो कालाहांडी
ये बेलछी या गढ़चिरौली
तुम वहीं जाते हो जो तुम्हारे लिए मुफीद जगह है
जहाँ तुम अपनी फसल काटना चाहते हो
अगर तुम जाओगे भी
तो वहां एक तमाशा ही दिखाओगे
कुछ बेच लोगे
कुछ खरीद लोगे
कुछ हड़प भी लोगे
एक फोटो
तो जरूर खीचालोगे
क्या तुम फिर जा रहे हो कहीं
किसी शहर की यात्रा में
मैं तो मेरठ भी नहीं जा पा रहा हूँ
मेरी जेब कट गयी है रस्ते में
तुम फिर जा रहे हो विदेश
इस तरह तुम हर मोड़ पर
लगवा सकोगे अपने पोस्टर
कि तुमने कई देशों में
जीत लिया है किला
क्या तुम उस बुढिया के घर जाओगे
जो ठंढ से ठिठुर रही है
मुझे मालूम है तुम जरूर जाओगे
पर एक कैमरा टीम के साथ जाओगे
साथ में होंगे कुछ अखबार नवीस भी
जो इस मुल्क को बताएँगे
कि तुम्हे बहुत याद आती है गांधी की

आज की रात,,,,,

आज की रात ...........

 आज की रात कितनी सर्द रात है
ऐसी रात को कभी आयी नहीं थी
आज की रात कितनी जर्द रात है
 ऐसी उदासी तो कभी छाई  नहीं थी
 आज की रात वाकई बहुत खतरनाक रात है
ऐसे डरावनी आवाजें कभी सुनायी नहीं थी
आज की रात अब कितनी  काली रात है
ऐसी तीरगी तो अब तक  कभी दिखाई नहीं थी

आज की रात ने दिल को दहला दिया है
मेरे शहर को खून सेकिस तरह  नहला दिया है
ज़ख्मों को एक बार फिर नमक से सहला दिया है
मैं इस रात को कभी बहुत प्यार करता था
इसके पहलू में  जिस्मानी इज़हार किया करता था
लेकिन इस रात से अब मैं  नफरत करने लगा हूँ
इसके रूह से कभी मोहब्बत करता था
पर इसके साये से भीअब मैं  डरने लगा हूँ

आज की रात अब उल्फत की रात नहीं है
आज की रात तेरे गेसुओं की भी बात नहीं है
आज की रात गोलियों से छलनी की गयी रात है
 आज की राततो सिर्फ  हैवानियत की  बात है
आज की रात चीख  और पुकारों की रात है
आज की रात आंसूओं और चीत्कारों की रात है
आज की रात अब इशारों की रात नहीं है
आज की रात चाँद तारों की रात नहीं है
आज की रात सिर्फ धुआं धुआं हैं चारों  तरफ
आज की रात सिर्फ सुरंग और कुआं  है चारों तरफ
ऐसी रात सड़कों पर मासूम बिलबिला रहे हैं
 ऐसी रात में चारों तरफ लोग चिल्ला रहे हैं
आज की राततो  बम के धमाकों की रात है
आज की रात इंसानियत के चेहरे पर तमाचों की रात है .

आज की रात किस के खौफ से दरी हुई है
आज की रात सुबह होने से पहले मरी  हुई है

आज की रातकहाँ से  इतने दरिन्दे छाये हुए हैं
आज की रात परिंदे भी बहुत घबराये हुए हैं

आज की रात मुझे इस रात से खूब लड़ना है
दहशतगर्दों से जिन्दगी भर जो झगड़ना है
चरागों  की तरह रात भर जलकर मुझे
एक दिन इस दुनिया को भी अब बदलना है
आज की रात मेरी ज़िन्दगी की रात है
आज की रात ही मुझे मचलना है
आज की रात तुम्हारे साथ बहुत दूर तक चलना है .
विमल कुमार