शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

एक सवाल खुद से

 एक सवाल खुद से

एक सवाल मैं
आज पूछता हूँ
खुद से
जिससे  से बचता रहा अब तक
क्या पाना चाहता था तुमसे
 प्रेम में
क्या देना चाहता था तुमको
मन या देह
या फिर दोनों
नहीं पाया इनमे से कुछ भी
नहीं दे पाया इनमे से कुछ तुम्हे
तो क्या नहीं किया प्रेम तुमसे
कुछ तो जीया साथ तुम्हारे चलके
हुआ कई बार आहत भी तुमसे
पर मिली कई बार रहत भी तुमसे
पर क्या नहीं किया तुमसे प्रेम
मृत्यु से पहले
कहीं  रह तो नहीं  गया
कई प्रश्नों में 
ये प्रश्न भी 
अन्नुतरित.....
विमल कुमार 


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