एक सवाल खुद से
एक सवाल मैं
आज पूछता हूँ
खुद से
जिससे से बचता रहा अब तक
क्या पाना चाहता था तुमसे
प्रेम में
क्या देना चाहता था तुमको
मन या देह
या फिर दोनों
नहीं पाया इनमे से कुछ भी
नहीं दे पाया इनमे से कुछ
तुम्हे
तो क्या नहीं किया प्रेम
तुमसे
कुछ तो जीया साथ तुम्हारे
चलके
हुआ कई बार आहत भी तुमसे
पर मिली कई बार रहत भी
तुमसे
पर क्या नहीं किया तुमसे
प्रेम
मृत्यु से पहले
कहीं रह तो नहीं गया
कई प्रश्नों में
ये प्रश्न भी
अन्नुतरित.....
विमल कुमार
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