- बारिश और चुम्बन
इतनी झमाझम हो रही है बारिश
कि मैं उसे खिड़की से वैसे देख रहा हूँ
गोया तुमे देख रहा हूं
उसकी एक एक बूँद मुझे छू रही है
जैसे तुम मेरे जिस्म को छू रही हो धीरे धीरे
मैं आसमान पर छाये बादलों को पढ़ रहा हूँ
जैसे मैं पढ़ रहा हूँ तुम्हारी पुरानी चिठियाँ
जो तुमने लिखी थी अपनी नाराजगी में मुझे
मैं बारिश को अपने भीतर मह्सूस कर रहा हूँ
जैसे मैंने कई बार तुम्हे महसूस किया है अपने भीतर
हवा की तरह बहते हुए
मैं इस बारिश को देख रहा हूँ बड़े गौर से
मनो कोई चीज़ खोज रहा हूँ अपने घर में
पिछले पच्चीस सालों से
जो अब नहीं मिल रही शहर में भी
इस झमाझम बारिश से जब मैं
पूछता हूँ
क्या तुम मदद करोगी मुझे उसे खोजने में
फिर वो इस तरह मुस्कराती है
पलट कर मेरी तरफ
जैसे तुम तुम मुस्कराती हो
और मैं उद्दीप्त हो जाता हूँ
फिर उसे चूमने लगता हूँ बेह्ताहाशा
ये जानते हुए कि वो एक शादीशुदा औरत है
और मुझे उसे इस तरह नहीं चूमना चाहिए एक सार्वजनिक स्थल पर
लेकिन इस झाझाम बारिश में
इस चुम्बन से काबू में कैसे कर सकता हूँ खुद को
जब बारिश की फुहार ने मुझे तर बतर कर दिया है
और तुम्हारे चुम्बन की याद ने
मुझे कोई जीवन अमृत दे दिया हो
आज के दिन
इस बारिश में एक खता ही सही - थोड़े देर के लिए एक थोड़े देर के लिए
- एक गुनहगार बनकर
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विमल कुमार
गुरुवार, 3 जुलाई 2014
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