गुरुवार, 17 अप्रैल 2014

बुरे दिन आनेवाले हैं

बुरे दिन आनेवाले हैं,भैय्या .
,बहुत बुरे दिन आनेवाले हैं

हम भी ये सच सबको बतानेवाले हैं.
हकीकत में कुछ नहीं होगा यारो
वे तो सिर्फ सुन्दर सपना दिखने वाले हैं.

किसी खुशफहमी में मत रहना
कि सब जगह अब फूल ही फूल खिलेंगे
हमारे रास्तों में वे कांटे बिछानेवाले हैं. 

तुम को नहीं पता अगर वे आये
तो फिर किसी का घर जलाने वालेहैं.
.

बुरे दिन आनेवाले हैं
अब तो और बुरे दिन आनेवाले हैं.

मोर पंखों में वे दरअसल कव्वे कालेवाले हैं.
अपने मियां मिट्ठू हैं.
आपना गाल बजाने वाले हैं.
शेर की खाल में
अपना चेहरा वे छिपानेवाले हैं.

बुरे दिन आने वाले हैं,
बहुत बुरे दिन आनेवाले हैं.

ताक़त के खेल में
वे पंजे दिखाने वाले हैं.
हैं बेशर्म इतने
कि कहाँ वे शर्माने वाले हैं.
उनके दिल में कहाँ है मोहब्बत
वे तो इंसान को आपस में लड़ाने वाले हैं.

कुछ तो रौशनी हो सके
कुछ अँधेरा छंट सके
उनके खिलाफ हम कम से कम
एक चराग जरूर जलानेवाले हैं.
जब ले लिया है हमने उनसे लोहा
तो हम भी कहाँ अब उनसे घबराने वाले हैं.

अछे दिन के नाम पर दरअसल

बुरे दिन आनेवाले हैं.....
अब तो बहुत बुरे दिन आनेवालें है.....

विमल कुमार
  • Vimal Kumar

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