चाहता था जिस तरह मै जीना.
जी न सका
जब चाहां मरना
तो मर भी न सका
जिनका दुःख चाहता था हरना
हर भी न सका
क्या लिखूं अब
कुछ समझ में नहीं आता
जो चाहता था लिखना
अब तक लिख भी न सका
जो चाहता था तुमसे कहना
ज़िन्दगी भर कह भी न सका
मेरे सामने ही बिक गया मेरा देश
रह गया मै ये सब देखता
बहुत कुछ किया कि कुछ बच जाये
,हाय, फिर भी कुछ ऐसा न कर सका
बहुत चाहा इस वक़्त ने मुझे डराना
फिर भी मै उस से , डर न सका
विमल कुमार.
जी न सका
जब चाहां मरना
तो मर भी न सका
जिनका दुःख चाहता था हरना
हर भी न सका
क्या लिखूं अब
कुछ समझ में नहीं आता
जो चाहता था लिखना
अब तक लिख भी न सका
जो चाहता था तुमसे कहना
ज़िन्दगी भर कह भी न सका
मेरे सामने ही बिक गया मेरा देश
रह गया मै ये सब देखता
बहुत कुछ किया कि कुछ बच जाये
,हाय, फिर भी कुछ ऐसा न कर सका
बहुत चाहा इस वक़्त ने मुझे डराना
फिर भी मै उस से , डर न सका
विमल कुमार.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें