मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मेरे साथ रहो
कि बीच रात में टूट जाती है
कभी कभी अचानक मेरी नींद
और मै घबराकर उठ जाता हूँ
अपने बिस्तर से.
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मेरे पास रहो
कि कभी कभी
धमाका हो जाता है
किसी पूल पर
कोई इमारत ढह जाती है अचानक
कही आग लग जाती है
और उसकी लपटें उठने लगती हैं आसमान पर
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मुझसे कम से कम एक बार तो मिल लो
इस शहर में जहाँ हर रास्ते धोखा देने लगे हैं
तुमसे मिलने के बाद शायद मेरी बेचैनी कुछ ख़त्म हो जाये
या कम हो जाये
क्योंकि मेरी आँखों के सामने अब धुंधला होने लगा है
यहाँ का हर परिदृश्य
कोहरा इतना है कि कुछ अब दिखाई नहीं देता,
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मुझसे टेलीफ़ोन पर ही बात कर लो
क्योंकि आसमान पर तारे भी अब रोज टूटने लगे हैं.
चाँद की रौशनी भी अब कुछ मदधम सी हो गयी है
फूलों से भी अब गायब होने लगी उसकी खुशबू
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम्हारा हाथ पकड़ लूं कभी
कोई मिल जाये सहारा मुझे
गिरते हुए वक़्त की सीढ़ियों से
रोज इस रेत में धंसते हुए गहरे
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मेरी आँखों के ठीक पास रहो
कि मै देख सकूँ एक सपना
इस दुनिया को बदलने का
यह जानते हुए कि बहुत मुश्किल हो गया है
अपने शहर को भी बदलना
क्योंकि बड़ी तेजी से बदल रहा है अब सब कुछ.
बहुत कम बचगया है अब किसी चीज़ पर विश्वास
विमल कुमार .
तुम मेरे साथ रहो
कि बीच रात में टूट जाती है
कभी कभी अचानक मेरी नींद
और मै घबराकर उठ जाता हूँ
अपने बिस्तर से.
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मेरे पास रहो
कि कभी कभी
धमाका हो जाता है
किसी पूल पर
कोई इमारत ढह जाती है अचानक
कही आग लग जाती है
और उसकी लपटें उठने लगती हैं आसमान पर
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मुझसे कम से कम एक बार तो मिल लो
इस शहर में जहाँ हर रास्ते धोखा देने लगे हैं
तुमसे मिलने के बाद शायद मेरी बेचैनी कुछ ख़त्म हो जाये
या कम हो जाये
क्योंकि मेरी आँखों के सामने अब धुंधला होने लगा है
यहाँ का हर परिदृश्य
कोहरा इतना है कि कुछ अब दिखाई नहीं देता,
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मुझसे टेलीफ़ोन पर ही बात कर लो
क्योंकि आसमान पर तारे भी अब रोज टूटने लगे हैं.
चाँद की रौशनी भी अब कुछ मदधम सी हो गयी है
फूलों से भी अब गायब होने लगी उसकी खुशबू
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम्हारा हाथ पकड़ लूं कभी
कोई मिल जाये सहारा मुझे
गिरते हुए वक़्त की सीढ़ियों से
रोज इस रेत में धंसते हुए गहरे
मै तो इसलिए चाहता हूँ
तुम मेरी आँखों के ठीक पास रहो
कि मै देख सकूँ एक सपना
इस दुनिया को बदलने का
यह जानते हुए कि बहुत मुश्किल हो गया है
अपने शहर को भी बदलना
क्योंकि बड़ी तेजी से बदल रहा है अब सब कुछ.
बहुत कम बचगया है अब किसी चीज़ पर विश्वास
विमल कुमार .
अच्छा ख्याल है ... :)
जवाब देंहटाएंSunder kavita.... Share karne k lite bahut bahut dhanyawad. Yogita yadav
जवाब देंहटाएंbehud sarthak or mohak bhav ke sath khubsurat shabdon se sazi kavita....
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