गुरुवार, 11 जुलाई 2019

अतृप्त कामनाएं

सबके जीवन में होती हैं न जाने कितनी अतृप्त इच्छाएं
पर कुछ लोग यह भी कहते हैं
उनके जीवन में सारी इच्छाएं ही मर गईं
इनमे अधिकतर स्त्रियाँ थीं

एक दिन मरने से पहले मैंने भी हिसाब लगाया
कौन सी इच्छाएं मेरी अतृप्त रह गयी हैं.
बहुत लम्बी फेहरिस्त है उनकी
सबको गिनाना शायद सम्भव भी नही
सबका जिक्र करना मुनासिब भी नही

कुछ ऐसी इच्छाएं भी है जिन्हें अगर बताया
तो मेरे बारे में लोगों की राय ही बदल जायेगी
मेरी शराफत का चोला भी उतर आएगा
पर कुछ इच्छाओं का जिक्र तो किया ही जा सकता है
जो पूरी नही हुई

वैसे , सबकी अलग अलग इच्छाएं थी
जो पूरी नही हुईं

सारी इच्छाएं मनुष्य की पूरी कभी होती तो नही
एक गरीब की इच्छाओं को दम तोड़ते पाया है मैंने
शासकों की इच्छाओं को क्रूर होते भी देखा है

अपनी अतृप्त इच्छाओं की तुलना
किसी से नही कर सकता
हर एक व्यक्ति की इच्छाएं भी
दिक् और काल के हिसाब से जन्म लेती है
पूरी भी होती हैं प्रयसों से वे कभी कभी
फिर भी कुछ अधूरी रह जाती है
इनमे कुछ यौन इच्छाएं भी होती हैं
जिन्हें मनुष्य अक्सर गोपनीय ही रखता है

सभ्यता का यही तकाजा भी माना गया है
कि उन्हें सार्वजनिक ण किया जाये
पर किसी के साथ अन्तरंग क्षणों में
वे बताई भी गईं हैं .
पर कुछ अतृप्त इच्छाएं बहुत परेशान भी करती हैं मनुष्य को

रात में बिस्तर पर लेटे हुए
वे हमारी नींद को भी आने नही देती
कुछ तो स्वप्न भी बन जाती है.
कुछ तो बहुत मानवीय और स्वाभाविक भी होती हैं.
कुछ शरीर से जुडी तो कुछ मन से जुडी
कुछ दैनंदिन जीवन से जुडी
कुछ तो जिन्दा रहने की शर्त में भी शामिल होती है
जिन्हें पूरा किये बिना जीना ही मुश्किल

इसलिए इन सारी इच्छाओं को एक खांचे में डाला नही जा सकता
कुछ सी इच्छाएं भी होती हैं
जिन्हेसुनाना भी किसी को हास्यास्पद लेगे
किसी को बहुत बेतुका भी लगे
किसी को अप्राकृतिक
किसी को बेमानी

मरने से पहले
अब यही इच्छा बची है
कि शांति से मरुँ
मेरे मरने से किसी को तकलीफ न हो
भले मेरी इच्छाएं पूरी हुई या नही
कम से कम दूसरों की इच्छाओं को पूरा होते तो देखूं
लेकिन जानता हूँ
मेरी यह इच्छा शायद ही पूरी हो
कि यह संसार बहुत सुन्दर बने

अगर मनुष्य के भीतर कोई इच्छा न होती
तो वह कब का पत्थर हो गया होता
सुन्दर इच्छाएं ही आदमी को सुन्दर बनाती है
बुरी इच्छाएं उसे बुरा बना देती हैं.

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