मंगलवार, 3 जून 2014

चुप रहकर महान

तुम बलात्कार पर चुप हो 
चुप हो हत्या पर 
बेरोजगारी पर तो तुमने सालों से मौन लगा रखा है 
गरीबी पर एक अजीब सी खामोशी है पसरी तुम्हारे चेहरे पर 

तुम्हारे लिए सबसे अहम् है 
आस्था का सवाल 
निवेश ही तुम्हारे समय का सबसे बड़ा सच है 
विकास की तुमने बनाई है एक नयी परिभाषा
संस्कृति की गढ़ी है नयी शब्दावली
तुम्हारे लिए घर नहीं
एक मंदिर है जरूरी

इस युग में
गिद्ध इसी तरह आते हैं
हर बार कुछ नयी शक्ल में
नयी शैली , नए अलंकार में


फिर वे आसमान पर छा जाते हैं

इसी यारह
बजती हैं चारो तरफ तालियां
खींची जाती है तस्वीरे
 पहनाई जाती हैं

मालाएं उन्हें इसी तरह 

चारो तरफ शुरू हो जाता है उनका जयगान
हम तो आपसे सिर्फ इतना जानना चाहते हैं
आखिर हम उनके बहकावे में हर बार क्यों आ जाते हैं 

जबकी वे चुप हैं 
हर उन सवालों पर 
जिसे वे चाहते हैं दबाना 
कि उनकी असलियत न खुले 
सबके सामने .
और वे चुप रहकर महान बन जाये 
इसी तरह इतिहास में .

विमल कुमार .

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