इस बार जो भेड़िया आ या है
वो भेडिये की शक्ल में नहीं आया है
हम नहीं कह सकते उसे कि वो भेड़िया ही है
अगर कहे तो एक विवाद खड़ा हो सकता है
हो सकती है एक नयी बहस शुरू कि आखिर में भेड़िया है कौन .
अब तो हर चीज़ पर शुरू हो रही है बहस नए सिरे से
इसलिए इस बार भेड़िया नहीं आया है
आया है कोई और
आदमी की खाल में
बचपन से सुन रहा था
जो कहानी अपने गाँव में
कि भेड़िया आया .... भेड़िया आया .....
पर जब वो आया तो पता ही नहीं
चला कि वो आया है दरअसल
मुझे आज तक तो ये भी पता नहीं चला
आखिर
ये कैसा दौर है
ये कैसी माया है
कि तेज़ घूप निकली है
और लोग कह रहे कि
चारो तरफ छाया ही छाया है,
विमल कुमार
वो भेडिये की शक्ल में नहीं आया है
हम नहीं कह सकते उसे कि वो भेड़िया ही है
अगर कहे तो एक विवाद खड़ा हो सकता है
हो सकती है एक नयी बहस शुरू कि आखिर में भेड़िया है कौन .
अब तो हर चीज़ पर शुरू हो रही है बहस नए सिरे से
इसलिए इस बार भेड़िया नहीं आया है
आया है कोई और
आदमी की खाल में
बचपन से सुन रहा था
जो कहानी अपने गाँव में
कि भेड़िया आया .... भेड़िया आया .....
पर जब वो आया तो पता ही नहीं
चला कि वो आया है दरअसल
मुझे आज तक तो ये भी पता नहीं चला
आखिर
ये कैसा दौर है
ये कैसी माया है
कि तेज़ घूप निकली है
और लोग कह रहे कि
चारो तरफ छाया ही छाया है,
विमल कुमार
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