-
इसी शहर में मर गयी मेरी माँ- आयी थी दरभंगा से
- दरभंगा यहाँ से हज़ार किलोमीटर दूर है
- कुछ दिन पहले मर गए मेरे पिता भी यही
- मरने से पहले उन्होंने कहा
एक झूठ लेकर जा रहा हूँ इस दुनिया से बेटा
सच तो ये है कि तुम्हारी माँ
ट्रेन में ही मर गयी थी
मै उसी
समय ट्रेन के पास गया .पूछा
माँक्या तुम्हारी गोद में ही मरी थी
ट्रेन में बहुत भीढ़ थी
बच्चे थे ,बूढ़े थे
औरतें थीं ठुसी हुईं
कोई कुछ सुन नहीं पा रहा था
ट्रेन कुछ बोले
कि इस से पहले खोमचेवाला बोल उठा
हाँ हाँ .कुछ दिन पहले इस डिब्बे में आयी थी
एक औरत दुबली पतली सी
मरियल सी
लेकिन वो सीट पर बैठने से पहले ही मर चुकी थी
मै भगा भगा गया गाँव
गांववालों ने कहा
तुम्हारी माँ शादी में ही मरी आयी थी यहाँ
जरूर मरी होगी वह अपने घर
जाकर उस से पूछो
मै ननिहाल जब पहुंचा
तो लगभग चीख कर पूछा
उसके घर से
तुमने क्यों ली आखिर मेरी माँ की जान
घर ने कहा -
देख रहे हो हो मेरी हालत
पिछले दस साल से मै बारिश में भीग रहा हूँ
दीवारो से पलस्तर झड रहा
पांच साल से मुझे जुकाम है
और हर साल गरमी में लग जाती है मुझे लू.!
विमल कुमार
नोट -ये कविता २५ साल पुरानी
रविवार, 11 मई 2014
,मेरी मां
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें