शनिवार, 29 मार्च 2014

कहाँ छिपा तुम्हारा प्यार.

मुझे सिर्फ इतना बता दो
कहाँ छिपा हुआ है तुम्हारा प्यार
किन पत्तों में किन फूलों में
किन रंगों में
किस घर के किस कोने में.
तकिये में छुपा है या किसी लिहाफ में

नदी की किस धारा में छिपा है तुम्हारा प्यार
धरती की किस कोख में
आसमान में किस आँचल में
बस तुम बता दो इतना
ढूंढ लूँगा मैं उसे

तुम ये भी बता दो
किन शब्दों में छिपा है तुम्हारा प्यार
किस भाषा के किस व्याकरण में
किन संकेतोऔर मुद्राओं में
पूर्णविराम या अर्धविराम में
 ये किसी चंद्रबिन्दू के भीतर

तुम्हारा प्यार
कही तुम्हारे क्रोध में छिपा है
 या तुम्हारे किसी मुस्कान में
सिर्फ इतना बता दो कहाँ छिपा है तुम्हारा प्यार.

अगर छिपा है तुम्हारा प्यार
तो उसे छिपे ही रहने दो
जैसे चाँद छिपा होता हैबादलों के भीतर


इससे और    बढ़ जाती है उस की खूबसूरती

बस मुझे इतना बता दो कहाँ छिपा है तुम्हारा प्यार
ताकि मैउस जगह को भी कर सकूं प्यार
 जहाँ छिपा है तुम्हारा प्यार.
जो है एक मेरा संसार.

विमल कुमार


2 टिप्‍पणियां:

  1. मोको कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे पास में



    कहो कवि तुम्हे किसकी है तलाश
    उसकी जो सिर्फ कल्पना में है
    बसती तुम्हारे
    या जो जीती है जीवन पल पल
    कड़ी धुप में तप कर जिसका तन है कुंदन
    और मन में नहीं उठता कोई सपंदन

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