वह आदमी
अभी मरा नहीं है
जिसे हम आज जला कर
लौटे हैं
अपने दोस्तों के साथ
डाक्टर ने भले ही उसे मृत घोषित कर दिया है
अस्पताल वालों ने एक प्रमाण
पत्र भी
जारी कर दिया है
उसके मरने का
लेकिन वो आदमी मरा नहीं है
घर आकर जब खाना
खाना बैठा हूँ
कि वो चला आया है
ज़िंदा होकर मेरे सामने
दरवाजा खोलकर वे सीधे आया है मेरे कमरे में
मुझे यकीन नहीं हो रहा है
क्या ये वही आदमी है
जिसे जलाया हमने चन्दन और घी में
वो आदमी मरा नहीं है
उसने मुझसे कहा कि वो फिर
आयेगा
मेरे फ़ोन भी करेगा
मुझे
और जहाँ ज़ुल्म होगा
जहाँ अन्याय के विरुद्ध कोई
करेगा आवाज़ बुलंद
तो वो चला आएगा
जहाँ लड़ना होगा
तो वह झुकेगा नहीं
मुझे अभी भी लगता है
वो आदमी मरा नहीं है
वो अब हमारे सपनो में रोज आने लगा है
वो हर दरवाजा खटखटाने लगा है
वो अँधेरे में एक चराग
जलाने लगा है
फिर कैसे कह दूँ
कि वो आदमी मर गया है
जबकि चिता पर उसे धू
धू कर जलते देखा है मैंने
इसलिए मुझे लगता है
कि वो आदमी मरा नहीं है
उसकी पत्नी को फूट फूट कर
रोते देखा है
उसके बच्चों को बिलखते
देखा है
उसकी अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित करने कल जा
रहा हूँ हरद्वार
उसकी शोक सभा में आये हैं कई लोग
थोड़ी देर में वो आदमी भी आ
गया है
जिसे हम जला कर आये हैं
वो आदमी जिंदा है अभी
भी
लेकिन दुनिया उसे मरा हुआ
समझती है
इस संसार में कुछ लोग ऐसे
जीते हैं
कि लगता है वे न जाने कब के
मर चुके हैं
लेकिन कुछ लोग ऐसे मरते हैं
कि लगता है कि वे ज़िंदा हैं
इसलिए अभी भी मुझे नहीं
लगता
कि वो आदमी मर गया है
जो ऐसे शखस से प्यार करता रहा
जिसे मैं भी आज भी बेहद
प्यार करता हूँ चुपचाप
और ये बात उसेता ज़िन्दगी मालूम भी न थी