शुक्रवार, 11 दिसंबर 2015

किसी को मेरे सपने देकर जाना जरूर

 किसी को मेरे सपने देकर जाना जरुर

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मैं जब इस दुनिया से जाऊँगा
तो लाखो करोड़ों  लोगों की तरह ही  जाऊंगा
घरवालों से यह कहकर जाऊंगा
जब जाना ही था एक दिन मुझे
तो फिर मातम मानाने से क्या फायदा

जाने से पहले
अपना बही खाता ठीक कर जाऊंगा
हिसाब किताब कर लूँ जरा
किसी का क़र्ज़ तो नहीं बाकी मुझ पर

जब मैं इस दुनिया से जाऊंगा
तो जितनी दुआएं लेकर जाऊंगा
उतनी बद् दुआएं भी होंगी मेरे  साथ

किसी की यादों के अपने साथ लेकर जाऊंगा
तो किसी की यादों में बसकर भी
कई अतृप्त इच्छाएं भी होंगी
लालच और वासना को भी साथ लेकर जाऊंगा
अगर बची है मेरे भीतर किसी के लिए नफरत
तो उसे भी लेकर जाऊँगा
ईर्ष्या  को भी अपने साथ ले लूँगा
कोई ऐसे चीज़ छोड़ कर नहीं जाऊंगा
कि तुम मुझे देते रहो बात बात में गाली

इस दुनिया से जाते हुए
फूलों की खुशबू
पेड़ों की छाया
और कुछ धूप और चांदनी भी साथ होगी मेरे साथ

अगर अस्पताल में मरा तो डाक्टर और नर्सों की यादें होंगी
घर में मरा  तो खिडकियों और दरवाज़ों की स्मृतियाँ भी होंगी
अगर रस्ते में मरा तो  सडकों धड़कने होंगी मेरी साथ
ट्रेन या वायुयान में  मरा
तो मुसाफिरों के चेहरे होंगे मेरे साथ
नदी में डूबकर मरा
तो पानी के स्पर्श को जीकर मरूँगा
जो भी हो
फर्क क्या पड़ता है
कि कैसे मरा

अगर मैं इस दुनिया से मरा
तो मरने से पहले
अपने दोस्तों को इत्तिला कर जाऊंगा जरुर
 अगर मुझे पता चला कि मैं मरने जा रहा हूँ
लेकिन कमबख्त मौत कभी बता कर क्यों नहीं आती

फिर भी मैं मरा बिना बताये
तो तुम मेरे सपनों को संभलकर रखना जरुर
और तुम भी इस दुनिया से जाने से पहले
 उसे किसी को देकर जाना जरुर .
ज़िन्दगी और कुछ नहीं
 सपनो का एक अनवरत सिलसिला ही तो है .





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