गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

झूठ के विरुद्ध

झूठ के विरुद्ध
जैसे ही तुम सच बोलोगे
लोग तुम तुम्हे घेर लेंगे चारों तरफ से
एक चक्रव्यूह रच देंगे
पूछेंगे तरह तरह के सवाल
तुम्हे ही मुजरिम ठहराएंगे
बहुत मुश्किल है सच बोलना
झूठ हमेशा रहता है साथ
ताक़तवरों के
इसलिए जैसे ही तुम सच बोलोगे
मार दिए जाओगे
फेंक दिए जाओगे तुम
किसी झाडी में
किसी दिन सुबह सुबह मिलेगी
नाले में तुम्हारी लाश
तुम्हारे घर को
लगा दी जायेगी आग
रात में अचानक
तुम्हारी किताबभी नहीं छपेगी
तुम्हारा वजीफा भी किसी और को दे दिया जायेगा
तुम्हे वंचित किया जायेगा दफ्तर में
तुम्हारे ही अधिकारों से
नौकरी से भी बर्खास्त कर दिए जाओगे एक दिन
किसी झूठे मुकदमे में फंसा दिए जाओगे
इसलिए कोई नहीं चाहता
बोलना अपने समय में सच
लेकिन हर युग में बोलते हैं कुछ लोग सच
वे परवाह नहीं करते
डरते नहीं वे
नहीं होते वे गीदड़
अब तुम्हे करना है तय
कि तुमसच बोलकर आदमी बनना चाहते हो
या
झूठ बोलकर गीदड़ .

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Vimal Kumar

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