अगर तुमने किया होता मुझसे प्रेम
तो बादल जरुर आते मेरे शहर में
और बारिश जरुर हुई होती अब तक
अगर तुमने लिखा होता मुझे एक भी पत्र
तो नदी जरुर मुस्कराई होती
उसने पूछा होता मेरा हाल
अगर तुमने एक बार भी किया होता टेलीफ़ोन
तो तारे जरुर आते मेरे छत पर टिमटिमाते हुए
वहीं से उन्होंने हाथ हिलाया होता मुझे
अगर तुम मिली होती कभी फिर रास्ते में
तो पेड़ों में जरुर कुछ निकले होते नए पत्ते
डाल कुछ झुकी होती मुझसे हाथ मिलाने के लिए बेताब
अगर तुमने पकड़ा होता मेरा हाथ कभी
अँधेरे में लेते हुए चुम्बन
तो अंगारे जरुर भड़के होते
कुछ रौशनी हुई होती चरागों में
लेकिन आज तक न बारिश हुई
न नदी ही मुस्कराई
न तारे ही आये
न पेड़ों में निकले पत्ते
न रौशनी हुई
जितनी उम्मीद से आया था इस दुनिया में
उतनी नाउम्मीदी लेकर जा रहा हूँ
अब
फिर भी एक उम्मीद है
एक स्वप्न है
भले ही कुछ सांस अभी दफन है .
सीने में
अगर तुम रहती थोड़ी देर भी इसी सीने में
सीने को इस तरह चाकू से
मुझे रोज काटना नहीं पड़ता
दुःख को इस तरह बांटना नहीं पड़ता
जो है अब तक निरर्थक उसे छांटना नहीं पड़ता
तो बादल जरुर आते मेरे शहर में
और बारिश जरुर हुई होती अब तक
अगर तुमने लिखा होता मुझे एक भी पत्र
तो नदी जरुर मुस्कराई होती
उसने पूछा होता मेरा हाल
अगर तुमने एक बार भी किया होता टेलीफ़ोन
तो तारे जरुर आते मेरे छत पर टिमटिमाते हुए
वहीं से उन्होंने हाथ हिलाया होता मुझे
अगर तुम मिली होती कभी फिर रास्ते में
तो पेड़ों में जरुर कुछ निकले होते नए पत्ते
डाल कुछ झुकी होती मुझसे हाथ मिलाने के लिए बेताब
अगर तुमने पकड़ा होता मेरा हाथ कभी
अँधेरे में लेते हुए चुम्बन
तो अंगारे जरुर भड़के होते
कुछ रौशनी हुई होती चरागों में
लेकिन आज तक न बारिश हुई
न नदी ही मुस्कराई
न तारे ही आये
न पेड़ों में निकले पत्ते
न रौशनी हुई
जितनी उम्मीद से आया था इस दुनिया में
उतनी नाउम्मीदी लेकर जा रहा हूँ
अब
फिर भी एक उम्मीद है
एक स्वप्न है
भले ही कुछ सांस अभी दफन है .
सीने में
अगर तुम रहती थोड़ी देर भी इसी सीने में
सीने को इस तरह चाकू से
मुझे रोज काटना नहीं पड़ता
दुःख को इस तरह बांटना नहीं पड़ता
जो है अब तक निरर्थक उसे छांटना नहीं पड़ता
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