मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

दे दो मुझे

दे  दो मुझे
वो सब कुछ
 जो बहुत जरूरी सामान है
 मेरे जीने के लिए
अगर वो काम लायक नहीं हो तुम्हारे लिए
हालाँकि यह कहते हुए मुझे
 लालच की  आती है गंध
 अपने ही भीतर
इस जीवन ने  मुझे कितना लालची बना दिया है

कल देखी  जब तुम्हारी तस्वीर हंसती हुई
तो यही इच्छा हुई
 कि तुम से मांग लूँ मैं
तुम्हारी  यह हंसी
रखूं इसे अपने पास
 एक रुमाल की तरह अपनी जेब में

दे दो मुझे
जो तुम्हारे लिए भले ही रद्दी की चीज़ बन गयी हो
इसी में मैं खोज लूँगा अपने लिए कोई खुशी
दे दो मुझे वह सब कुछ
 जो खरीदा नहीं जा सकता हो इस दुनिया में
जो हो इतना बेशकीमती
 कि उसका मूल्य नहीं लगाया जा सकता हो

दे दो मुझे
जो तुम्हारे कंधे पर एक बोझ की तरह हो
जो हो कमरे में अँधेरे की मानिंद .
जो शब्दों में
 किसी भाषा में
अमूर्त ही हो
जो नहीं हो जिस्मानी
जो रूहानी सा लगता हो

जब साँस लेने से  बच जाये थोड़ी सी  हवा
 तो मुझे देना कि मैं भी जी सकूँ

जब रोने के बाद भी बच जाएँ आंसू
जब रौशनी चली जाये आँखोंसे
तो अपनी आँखे दे देना
कि उसमे डाल सकूँ मैं अपनी आँखों की ज्योति

दे देना तुम
 जो तुम्हारे लिए हो एक तरह से   
तुम्हारी दी हुई हर चीज़ काम आयेगी मेरे लिए
तुम भले ही अपना  प्यार न दे सको मुझे

दे देना तुम अपने हांथों की मेहंदी के कुछ फूल
अगर तुम्हे अपनी खुशी देने में हो किसी तरह की कोई मुश्किल
अपनी थोड़ी उदासी ही दे देना
इसी के सहारे कट जायेगी
अब यह ज़िन्दगी
जिसे काटना कितनी तकलीफ्देह  हो गया है
इस वक़्त में .

देना इतना ही
कि अगर नहीं लौटा सका  मैं तुम्हे
 इस जीवन में अगर  
मरने के बाद जरुर लौटा संकू एक दिन

तुम्हारी दी हुई हर चीज़
अब क़र्ज़ है मेरे लिए
एक नया कर्ज़दार हूँ मैं तुम्हारा

ब्याज भी देने को तैयार हूँ
लेकिन तुमने कह दिया है मुझसे
तुम्हारे पास देने को नहीं है कुछ भी
तो फिर ले ही लो
जो मैं तुम्हे चाहता हूँ देना
बिना तुमसे मिले हुए कभी
इस जीवन में .

विमल कुमार 

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