वासवदत्ता !
वसंत नहीं आया
इस बार
पुकारता रहा
न जाने मैं
इस बार
पुकारता रहा
न जाने मैं
कितनी बार
तुम आती तो वह आता
वासवदत्ता !
तुम्हारा इंतज़ार
तुम्हारा इंतज़ार
दरअसल
वसंत का ही इंतज़ार है
.
अब कहाँ
इस दुनिया में
हमारा खूबसूरत संसार है.
वासवदत्ता ! देख ही रही हो तुम
वसंत का ही इंतज़ार है
.
अब कहाँ
इस दुनिया में
हमारा खूबसूरत संसार है.
वासवदत्ता ! देख ही रही हो तुम
अब इस जीवन में प्रेम से अधिक अत्याचार है .
.
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें