रविवार, 7 फ़रवरी 2016

चाकू घोंप देते हो

एक तरफ तो तुम मुझे देवी बनाते हो
दूसरी तरफ मेरे साथ बलात्कार भी करते हो
एक तरफ तो तुम मुझे तालीम देते हो
दूसरी तरफ मेरे चेहरे पर एक बुर्का भी डाल देते हो.
एक तरफ तो तुम मुझ से प्यार जताते हो
दूसरी तरफ मुझे कुलटा बताते हो
एक तरफ तो मेरे सौन्दर्य की तारीफ़ करते हो
दूसरी तरफ तुम मुझे विज्ञापन में बेच भी देते हो.
एक तरफ तुम मुझे अवसर देने की बात करते हो
दूसरी तरफ तुम मेरा इस्तेमाल भी करते .. हो...
तुम को धरतीपर मैंने ही बनाया है
और
तुम मुझे ही . मंदिर मस्जिद जाने से ही रोक देते हो.
तुम अपनी कला में मेरी मुक्ति दिखाकर
मेरी पीठ में चाकू घोंप देते हो .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें