शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

ए ख़ुदा

मै वृक्ष ही बनना चाहता था
पर ऐ खुदा
तुमने मुझे पत्थर बना दिया
मैं बादल बन ना चाहता था
पर तुमने मुझे रेत बना दिया

हर जन्म में तुमने मुझे
वह नहीं बनाया जो चाहता था बन ना

चाहता था मैं खरगोश बन ना
पर तुमने मुझे शेर बना दिया
अब जंगल जंगल भटक रहा हूँ
नहीं चाहता हूँ
मेरे भीतर कोई हिंसा हो
कोई लालच
कोई वासना
कोई भूख
शांति से अब चाहता हूँ जीना
पर खुदा तुमने मुझे क्यों आदमखोर बना दिया
चाहता था एक इंसान बनना
पर क्या था मेरा कसूर
कितुमने मुझे मेरे भीतर
एक शैतान भी बना दिया .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें