मरने से पहले
मरने लगती हैं स्त्रियाँ
जैसे पतझर में झरने लगती हैं पत्तियां
मरने लगती हैं स्त्रियाँ
जैसे पतझर में झरने लगती हैं पत्तियां
कहती नहीं किसी से
हम मरणासन्न हैं
ले चलो किसी अस्पताल में हमें
ले चलो किसी अस्पताल में हमें
कोई डाक्टर भी कहाँ हैं
जो उन्हें मरने से बचा ले
जो उन्हें मरने से बचा ले
मरने से पहले ही
मरने लगती हैं स्त्रियाँ
मरने लगती हैं स्त्रियाँ
उनके पंख जल जाते हैं उड़ने से पहले
उनकी पतंगे आसमान में कट जाती हैं
उनका चाँद चमकने से पहले पीला पड जाता है
उनकी पतंगे आसमान में कट जाती हैं
उनका चाँद चमकने से पहले पीला पड जाता है
मरने से पहले मरने लगती हैं स्त्रियाँ
जैसे जन्म लेने से पहले
सूख जाती हैं कई नदियाँ
जैसे जन्म लेने से पहले
सूख जाती हैं कई नदियाँ
मरने से पहले ही
उनका जिस्म बर्फ बन जाता है
न लहरे उमड़ती हैं
न मछलियाँ कसमसाती हैं
न दहकता कोई चिनार बदन में
न बजता कोई सितार
मिलता कहाँ उन्हें किसी का प्यार
उनका जिस्म बर्फ बन जाता है
न लहरे उमड़ती हैं
न मछलियाँ कसमसाती हैं
न दहकता कोई चिनार बदन में
न बजता कोई सितार
मिलता कहाँ उन्हें किसी का प्यार
मरने से पहले मरने लगती हैं स्त्रियाँ
एक अंधेरी सुरंग में तब्दील होती हुई
एक खँडहर की तरह कराहती
एक जर्जर पुल की तरह उदास
एक अंधेरी सुरंग में तब्दील होती हुई
एक खँडहर की तरह कराहती
एक जर्जर पुल की तरह उदास
हजारों ख्वाहिशें लिए हुए
कई तरह की खुश्बूओं से वंचित
अतृप्त कामनाओं के साथ जीती
कई तरह की खुश्बूओं से वंचित
अतृप्त कामनाओं के साथ जीती
बहुत सारा रहस्य अपने भीतर छिपाए हुए
बहुत सारी वेदनाओं को न बताये हुए
बहुत सारी वेदनाओं को न बताये हुए
चिता पर जलने से पहले अंगीठी कीतरह जलती हुई
सारा धुआं अपने फेफड़े में सोखती हुई
सारा धुआं अपने फेफड़े में सोखती हुई
मरने से पहले
हर युग में इस तह
मर जाती हैं स्त्रियाँ
हर युग में इस तह
मर जाती हैं स्त्रियाँ
किस ने मारा है
उन्हें कोई बता सकता है
अगर पता चले
तो कौन उसे सजा दिला सकता है
उन्हें कोई बता सकता है
अगर पता चले
तो कौन उसे सजा दिला सकता है
पुरुषों के स्वप्न में
बार बार जीवित होती हुई.
घर कर जाती हैं स्त्रियाँ
बार बार जीवित होती हुई.
घर कर जाती हैं स्त्रियाँ
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