पोएट्री
मिस मैनेजमेंट
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कविता क्या है
शुक्ल जी की तर्ज़ पर
सोच रहा हूँ अव ग्लोवल समय में
पोएट्री क्या है
मैनेजमेंट
या फिर मिस मैनेजमेंट
तभी पास हो गया जी एस टी कल देर रात में
खूब छपी खबर अखबार में
कि यह एतिहासिक है
कहा टी वी के सामने मंत्री ने
यह तो बिलकुल क्लासिक है
इसी मंत्री ने सेवेंथ पे कमीशन को भी
हिस्टोरिक बताया था
अपनी सरकार को करगिल वार में हेरोइक बताया था
पोएट्री क्या है
मैं सोच ही रहा था
कि दौर पड़गया मुझको रास्ते में
करने लगा अजीवों गरीब हरकते
लिखने लगा नीद में प्रेमिकाओं को खतें
लेकिन एक क्रिटिक ने मुझे आलोचक बता दिया
आयी एन जी सी ऐ के सभागार में
होम मिनिस्टर के सामने एक बूढ़े लेखक के त्यौहार में
कल्चर मिनिस्टर के पास मंच पर बैठा मैं सोचता रहा
पोएट्री क्या है
मैनेजमेंट या मिस मैनेजमेंट
कि कुछ भी लिख दूँ
और हो जाऊं फेमस
बिना किसी संवेदना के
निरी बौद्धिकता के
जिसमे असीम सामाजिकता हो
पर क्या यही अब लिटरेचर की वास्तविकता हो
दोष राइटर का नहीं
महिला फाइटर का नहीं
जूरी का है
यानी हिन्दी कहानी के शेर शाह सुरी का है
दर असल यह साहित्य में एक ट्रम्प कार्ड था
संयोग देखिये अमरीका में भी एक ट्रम्प था
इलेक्शन में खडा था
भारत में भी एक प्रतिभाशाली शख्स कविता के सेले कशन में परदे के पीछे खडा था
पोएट्री क्या है
केवल खुन्नस तो नहीं
कोई महत्वाकांक्षा तो नहीं
सूचनाओं का रजिस्टर तो नहीं
केवल प्रदर्शन तो नहीं
चर्चित होने के लिए आमरण अनशन तो नहीं
फेसबुक पर सुबह से शाम तक घर्षण तो नहीं
मैं सोच ही रहा था
कि चैनल पर शुरू हो गया था मुकाबला
सतीश उपाध्याय आ ही गए थे
हमेशा की तरह विराजमान थे राकेश जी
इस बीच इन्फ्लेसन और बढ़ गया था
रूपया डॉलर के मुकाबले और कमजोर हो गता था
नीति आयोग की कोई नीति नहीं थी
रचना को देखने की उनकी दृष्टि में कोई स्फीति
नहीं थी
क्योंकि समर्थक भी विकराल थे
पोएट्री क्या है
सोच ही रहा था
कि एयरफोर्स का
एक विमान लापता हो गया था
राष्ट्रभक्त १७२ फीट तिरंगा लिए खड़े थे उना में
एच आर डी मिनिस्टर अपने गुरु से मिल रहे थे पूना
में
पूरा दृश्य मुल्क का पीपली live था
कविता थी इंटरनेशनल
अब उसका हाइप था
कवि भी झोला छाप नहीं था
बाकायदा आयी आयी एम् का एम् बी ऐ था
पोएर्टी क्या है
अबतक कोई जान नहीं पाया था
गूंगे का गुड था
या हाथी का सूंढ़ था
सबके धारदार तर्क थे
जो अधिक चतुर थे
उनके विचित्र कुतर्क थे
कुछ लोग इस बहस में बहुत सतर्क थे
पोएट्री क्या है
मैं सोच ही रहा था
मैनेजमेंट
या मिस मैनेजमेंट
या एडिटर का जूरी के साथ निजी अरेंजमेंट
लेकिन यह सच है
यह एक निहायत स्त्री विरोधी वक्तव्य था
यह कविता विरोधी बयान भी था
कुंठित पुंसत्व से भरा हुआ
भीतर ही भीतर सड़ा
हुआ
अरे भाई एक स्त्री को को लिखने दो
क्यों पीछे
पड गए
उसे अभी सीखने तो दो
बहस का स्तर इतना न गिराओ
पोएट्री मैनेजमेंट न सही
मिस –मैनेजमेंट तो न कहो
मिल जाये जब किसी को अवार्ड
तो मान लीजिये
कि रचना महान है
कविता की समझ नहीं आपको
नहीं मिला जो यह पुरस्कार कभी लालटेन छाप को
बंद करें
बहुत हो गया यह प्रलाप
कभी तो कुछ अच्छा भी लिखें आप
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